Day :- 21 // कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थन्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते॥
Source:- Bhagavad Gita (3.6)
Instagram:- @sanskriiksaar
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जो मूढबुद्धि मनुष्य समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इन्द्रयों के विषयों का चिंतन करता रहता है,
वह मिथ्याचारी अर्थात दम्भी कहा जाता है।
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जो मूढबुद्धि मनुष्य समस्त इन्द्रियों को हठपूर्वक ऊपर से रोककर मन से उन इन्द्रयों के विषयों का चिंतन करता रहता है,
वह मिथ्याचारी अर्थात दम्भी कहा जाता है।
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